?वो रात बहोत खुशनसीब थी
जब वो सितारा मेरे आंगन में आकर गिरा।
मेरी आंखों में सुहाने ख्वाब सजा गया,
जब वो सितारा मेरी नींदों में आकर ठहरा।
मेरी खोई मुस्कान को वापस कर गया,
जब वो सितारा मेरे होठों पर आकर रुका।
मेरी गलियों को फूलो से सजा गया,
जब वो सितारा मेरे कदमों में आकर बिखरा।
मेरी लटो को चेहरे पर बिखरा गया,
जब वो सितारा मेरी ज़ुल्फो में आकर उलझा।
मेरी चूनर में सिलवटे दे गया,
जब वो सितारा मेरे दामन में आकर बिछा।
मेरी रूह में अपनी खुशबू भर गया,
जब वो सितारा मेरी बांहों में आकर सिमटा।
वो रात बहुत खुशनसीब थी
जब वो सितारा मेरे आंगन में आकर गिरा।?
✍️ धृति मेहता (असमंजस)
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