इतनी शिद्दत से मोहब्बत है तुमसे की मरना भी मुनासिब नहीं है हमे,
इतना प्यार है की जीकर खुदमे मेहसूद करना है तुम्हे हर हालमे हमे।।
✍️धृति मेहता (असमंजस)
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शिद्दत

इतनी शिद्दत से मोहब्बत है तुमसे की मरना भी मुनासिब नहीं है हमे,
इतना प्यार है की जीकर खुदमे मेहसूद करना है तुम्हे हर हालमे हमे।।
✍️धृति मेहता (असमंजस)
2 replies on “शिद्दत”
really a nice shayari
nice