ऐसे कैसे जान लेते हो,
बिना कहे मेरी हर बात सुन लेते हो तुम।
कभी आदत नहीं थी हमें इतना मुस्कुराने की,
ऐसे कैसे कर लेते हो, छोटी छोटी बातों से इन आंसुओ को मुस्कान में बदल देतो हो तुम।
ऐसे कैसे जान लेते हो,
बिना कहे मेरी हर बात सुन लेते हो तुम।
दिलमे कभी हमारे यू तूफान जो उठ जाता है,
ऐसे कैसे कर लेते हो, मेरी सारी उलझनों को यूही सुलझा लेते हो तुम।
ऐसे कैसे जान लेते हो,
बिना कहे मेरी हर बात सुन लेते हो तुम।
आंखो से कभी हमारी नींद जो उड़ जाती है,
ऐसे कैसे कर लेते हो, हमे सुलाने के बाद ही, हमेशा खुद सो पाते हो तुम।
ऐसे कैसे जान लेते हो,
बिना कहे मेरी हर बात सुन लेते हो तुम।
यू तो अकेले रहेने की आदत सी थी हमे,
ऐसे कैसे कर लेते हो, न होकर भी हर पल हमारे साथ होते हो तुम।
ऐसे कैसे जान लेते हो,
बिना कहे मेरी हर बात सुन लेते हो तुम।
बेफिक्र यू थे खुद के लिए हम,
ऐसे कैसे कर लेते हो, अब तुम्हारे लिए सवर लेते है हम।
ऐसे कैसे जान लेते हो,
बिना कहे मेरी हर बात सुन लेते हो तुम।
इतनी शिद्दत से कभी खुदको भी चाहा नहीं था हमने,
ऐसे कैसे कर लेते हो, अभी खुद में तुमको समाए हुए है हम।
ऐसे कैसे जान लेते हो,
बिना कहे मेरी हर बात सुन लेते हो तुम।
✍️ धृति मेहता (असमंजस)
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